इन दिनों तीन ग्रह अपनी राशि बदल रहे है। ये तीन ग्रह हैं शनि, गुरु और राहु। इनका राशि परिवर्तन सरकार के लिए परेशानी का कारण बनेगा। सरकार मूक बनी नजर आएगी। शनि कन्या राशि में आ चुका है, गुरु 20 दिसम्बर को रात्रि 3 बजे आएगा वहीं राहु 3 नवम्बर को सुबह 4.30 पर नीच का होकर आएगा। इस वर्ष तीन ग्रहों का राशि परिवर्तन होना किसी अनहोनी की आशंका का संकेत देता है।
गुरु ज्ञान का कारक है वहीं धर्म, न्याय, प्रशासनिक क्षेत्र, राजनीति का कारक है जो शत्रु राशि कुंभ में होगा। वहीं गुरु की धनु राशि में नीच का राहु जो अकस्मात घटना का कारक है, नीच प्रवृति का होने से धर्म के क्षेत्र में हानि कराएगा। कहीं न कहीं घटना- दुर्घटना का भी कारण बन सकता है।
शनि जब भी राशि परिवर्तन करता है तब महँगाई, असंतोष, अराजकता पैदा होती है। राजनीति के क्षेत्र में भी गड़बड़ी का कारण बनता है। गुरु का कुंभ में होना एक राशि सिंह पर मित्र दृष्टि व दो राशि मिथुन व तुला पर शत्रु दृष्टि डालने से इन भावों पर अच्छा प्रभाव नही पड़ेगा।
इधर शनि की एक राशि पर परम शत्रु दृष्टि होने से कहीं न कहीं हानिप्रद रहेगा। राहु भी जिस भाव में नीच का होगा उस भाव को क्षति पहुँचाएगा। आइए, प्रत्येक लग्न पर इनका प्रभाव कैसा रहेगा, जानें। मेष लग्न या राशि वालों के लिए शनि षष्ट भाव से आयु के मामलों में या स्वास्थ्य के मामलों में सावधानी रखकर चलना होगा, राहु का गोचरीय भ्रमण भाग्य में नीच का होगा अतः इन राशि वालों के लिए भाग्य व धर्म के क्षेत्र में सावधानी रखना होगी।
गुरु दाम्पत्य जीवन के मामलों मे बाधक बन सकता है। वृषभ राशि या लग्न वालों के लिए शनि अपने जीवन साथी के मामलों में तकलीफ देगा, राहु अष्टम से भ्रमण करेगा जो अकस्मात बीमारी का कारण बनता है।
गुरु रोग, कर्ज बढ़ा सकता है। मिथुन लग्न या राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण चतुर्थ भाव से रोग कर्ज बढ़ाता है वहीं राहु का भ्रमण सप्तम भाव से भ्रमण करेगा। इस कारण अपने जीवन साथी को कष्ट देगा वहीं दैनिक व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के लिए राहु ठीक नहीं रहता।
गुरु का भ्रमण नवम भाग्य से होने के कारण धर्म-कर्म में मन न लगना, भाग्य में रुकावट, संतान को कष्ट रहता है। कर्क लग्न व राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण तृतीय से होने के करण संतान, विद्या में बाधा रहती है। राहु का भ्रमण षष्ट भाव से होने के कारण रोग, कर्जादि की परेशानी का कारण बनता है वहीं मामा, नाना पक्ष में कुछ अशुभ समाचार मिल सकता है।
गुरु का भ्रमण अष्टम भाव से होने के कारण भाग्य में कमी, पारिवारिक बाधा रहती है। सिंह लग्न व राशि वालों के लिए शनि पारिवारिक बाधा व राहु का पंचम से भ्रमण विद्यार्थी वर्ग के लिए परेशानी, संतान को कष्ट, प्रेम संबंधी मामलों में बाधा रहेगी। गुरु का सप्तम से भ्रमण बहनों से अनबन का कारण भी बन सकता है। कन्या लग्न व राशि वालों के लिए शनि पराक्रम में कमी, भाइयों से द्वेष का कारण बनता है, राहु चतुर्थ से भ्रमण करने से पारिवारिक परेशानी, माता को कष्ट, जनता से संबंधित मामलों मे रुकावट का कारण बनता है।
गुरु षष्ट भाव से भ्रमण करने के कारण दांपत्य जीवन में बाधा, धन, कुटुम्ब के मामलों में भी परेशानी देगा। तुला लग्न व राशि वालों के लिए शनि धन व कुटुम्ब के मामलों में बाधा बनता है वहीं राहु का भ्रमण तृतीय भाव से होने के कारण भाइयों से विरोध, पराक्रम में कमी, साझेदारियों से हानि का कारण बनता है।
गुरु पंचम से भ्रमण करने के कारण संतान, विद्यादि के मामलों में व स्वयं के कामों में देरी का कारण बनेगा। वृश्चिक लग्न व राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण स्वयं के लिए ठीक नहीं वहीं राहु का भ्रमण द्वितीय भाव से होने के कारण धन, वाणी, कुटुम्ब वालों के मामलों मे बाधा का कारण बनता है। गुरु का भ्रमण चतुर्थ से होने के कारण पारिवारिक मामलों में ठीक नहीं रहता, यात्रादि में सावधानी रखें।
धनु लग्न व राशि वालों के लिए राहु का लग्न से भ्रमण मानसिक चिन्ता का कारण बनता है, गुरु का भ्रमण पराक्रम में कमी व भाइयों से वाद-विवाद का कारण बनता है। शनि बाहरी मामलों में सावधानी का संकेत देता है। मकर लग्न व राशि वालों के लिए राहु का भ्रमण द्वादश भाव से होने के कारण बाहरी संबंधों में कष्ट व परेशानी रहे, लेनदेन सावधानी से करें, गुरु का भ्रमण द्वितीय भाव से होने के कारण धन की बचत कम होगी, व्यापार में सतर्कता रखें व नौकरी-पेशा सावधानी रखें। शनि आय व शेयर के मामलों मे बाधक बनता है।
कुंभ लग्न व राशि वालों के लिए गुरु का भ्रमण लग्न से होने के कारण जीवन साथी से लाभ व स्वयं के लिए थोड़ा कष्टकारी रहता है। राहु का भ्रमण एकादश भाव से होने के कारण आर्थिक बाधा व शेयर बाजार में नुकसान देता है, शनि व्यापार, नौकरी आदि के क्षेत्र में रुकावट देता है।
मीन लग्न व राशि वालों के लिए राहु का भ्रमण दशम से होने के कारण व्यापार, नौकरी, पिता के क्षेत्र में बाधा का कारण बनता है। गुरु का भ्रमण बाहरी मामलों में सावधानी का संकेत देता है व स्वास्थ्य के मामलों में भी सावधानी रखने का संकेत है। शनि भाग्य में रुकावट का कारण बनता है।
स्वतन्त्र भारत की कुंडली में राहु का भ्रमण अष्टम भाव से होने के कारण किसी अनहोनी का संकेत है जिससे जनहानि संभव है। आम जनता के लिए बीमारी से कष्ट रहने का संकेत है। गुरु का भ्रमण दशम भाव से होने के कारण राजनीति में कहीं बदलाव, आपसी तालमेल की कमी का कारण बनता है। ये तीन ग्रहों का बदलाव भारत के लिए आकस्मिक युद्ध का संकेत भी है।
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