Need Indian Karaoke ?






स्वागत

नमस्कार मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत हैं, काफी ज्योतिष विद्वानों के साथ रह कर और गुरु जी की कृपा से ज्योतिष सीखी, खूब अध्ययन किया फिर कुछ इसे ज्योतिष मित्रो से मुलाकाते हुई जो ज्योतीस का व्यव्शायिक उपयोग करते हैं और हद तो तब होती हैं जब वो किसी से वो असी असी बातो के पैसे ले हैं जिनका ज्योतिष से कोई सरोकार ही नहीं हैं यानी एक ज्योतिषी तांत्रिक भी बन बेठा और ज्योतिषी भी बड़ा दुःख और आश्चर्य होता जब लोग उनकी बातो पर यकीं भी करते और उनको पैसा भी देते फिरक पड़ना या न पड़ना दूसरी बात हैं कोई ज्योतिषी भगवन नहीं हो सकता न ही कोई भी कांफिडेंस से ये दावा कर सकता हैं की १००% काम होगा ही होगा क्योंकी अगर भाग्य पर विश्वाश हैं तो कर्म पर भी होना हैं एक महाशय से मुलाकात हूई इस ज्योतिष यात्रा में तो जनाब ने बताया एक पर्सन का उतर देने के वो ५००० रुपये लेते हैं अपने आप को इसे पेश करते हैं की आम आदमी तो बेचारा उनके सामने बताने से ही ढेर हो जाये यंहा एक बात और ज्योतिषी को एक अच्छा वक्ता होने की भी जरुरत हैं, यंहा ब्लॉग लिखने का कारन यही हैं में व्यावसायिक ज्योतिषी नहीं हूँ न ही बनाना चाहता हूँ पर अपने गुरु के द्वारा दिए गए ग्यान को गवाना भी नहीं चाहता बस यही कारन हैं के मैंने ये ब्लॉग बना डाला इस ब्लॉग में आप की कोई भी समस्या हो में हर संभव कोशिस करूँगा की आप की समस्या का हल निकल पाऊ आप मेरे से vinod.rankas@gmail.com पर समपर्क कर सकते हैं समय मिलते ही आप को जवाब जरुर दूंगा और 9252498385 पर संपर्क कर सकते हैं पर फोन पर समपर्क तभी करे जब आप की समस्या अति गंभीर हो और तुंरत समाधान चाहिए हो अनावश्यक फोन न करे और मेल पर समपर्क कर ले धन्यवाद्

२०१० के बारे में मेरे विचार

 जनवरी मास प्रारंभ में धनु राशि सूर्य, शुक्र, बुध, राहु की युति है। नववर्ष में चतुग्रही योग बन रहे हैं, जो अच्छे नहीं है। उत्तर कश्मीर, पश्चिम गुजरात, महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राष्ट्र में पश्चिम भाग, पाक, नेपाल, अफगानिस्तान कई देशों में प्राकृतिक उत्पात, महँगाई, भ्रष्टाचार आतंकवाद की परेशानी रहेगी। राष्ट्रीय नेताओं के समक्ष सत्ता संकट कलाकारों के साथ परेशानी, जनवरी में सोना-चाँदी में घट-बढ़ होगी। इस तरह गोरोचन के भाव में पहले कमी व बाद में तेजी आएगी।

शासक एवं प्रजा के बीच मतभेद खुलकर सामने आएँगे। असम, पाक व बांग्लादेश से संबंधित विवादों का जन्म होगा। भारत की शक्ति मजबूत होगी। ब्रिटेन के शाही परिवार पर दृष्टि घुमाएँ तो मुसीबत का संकेत बनाता है। भारत के राष्ट्रपति के लिए 2010 कष्टमय स्थिति वाला रहेगा। कई मुद्‍दों पर कठिनाई के बावजूद अभूतपूर्व निर्णय लेने में सफलता मिलेगी।

हमारे देश में गणतंत्र दिवस का बड़ा महत्व है। इस बार 26 जनवरी के दिन रोहिणी नक्षत्र है, एवं तैतील करण है। 26 जनवरी 2010 प्रारंभ अर्थात सूर्योदय के समय कुंभ लगता है एवं चंद्र की युति है। इसके परिणामस्वरूप राष्ट्र को कई प्रकार के लाभ मिलेंगे जो राष्ट्रहित में होंगे।

राष्ट्रपति के सम्मान में कार्य होंगे। भारत का यश विश्व में तेजी से फैलेगा। जर्मनी, मिस्र, एशिया, चीन, जापान तथा अमेरिका को भारत की सहयोग नीति में अधिक-से-अधिक लाभ मिलेगा। सभी देश भारत की नीति को समझकर सहयोग प्रदान करेंगे। असम, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र व आंध्रप्रदेश, गुजरात के कुछ हिस्सो में हिंसात्मक घटनाएँ होने की संभावना बनती है। हड़ताल, आंदोलन का भी दौर रहेगा।



राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में मई-जून में जल समस्या एवं विद्यतु समस्या उग्र रूप धारण करेगी। जनता में आक्रोश रहेगा जिसका समाधान करना शासक के लिए कठिन होगा। मार्च 2010 में कुंडली पर नजर डालें तो शनि से मंगल एकादश भारत में स्थित रहेगा जिसके परिणामस्वरूप विपक्ष शासक (सरकार) के लिए सिरदर्द बना रहेगा।

विशेषकर आरक्षण, अल्पसंख्यक उत्थान दरिद्र के लिए योजना सत्ता पक्ष के सामने समस्या पैदा कर देगी। इसी के साथ चोरी, अपहरण व सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होंगी। छोटे दल राष्ट्रीय दलों के लिए सिरदर्द बने रहेंगे एवं पार्टियों में फेरबदल के कारण कई दलों में बिखराव होगा। इससे जनता को कष्ट उठाना पड़ेंगे। भारत की विदेशी संबंधों में व्यापारिक वृद्धि होगी। जर्मन, जापान, अमेरिका श्रीलंका में व्यापार की दृष्टि से भारत को लाभ मिलेगा।

भारत के उत्पाद विदेशों में पूँजी कमाएँगे। राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र में ग्रामीण रोजगार में वृद्धि होगी। इस शिक्षा के क्षेत्र में संघर्ष का सामना करना पड़ेगा। अराजकता, हत्याकांड एवं प्राकृतिक प्रकोप से प्रजा को कष्ट होगा।

प्रत्येक वस्तु में महँगाई का सामना करना पड़ेगा। राजनैतिक दलों में अनावश्यक वाद-विवाद होंगे। पाकिस्तान एवं भारत के संबंधों को लेकर वाक युद्ध (राजनेताओं द्वारा) होगा। पाक की नीति का कथनी-करनी में अंतर जगजाहिर हो जाएगा।

इस वर्ष महाराष्ट्र, गुजरात तथा दिल्ली  इत्या‍दि महानगरों में बम विस्फोट के योग बनते हैं। जिससे प्रजा को कष्ट होगा। इसी के साथ इन शहरों में हड़ताल से जन सामान्य परेशान होगा। चीन एवं पाक में भी बम विस्फोट से जन सामान्य को कष्ट होगा।

एक नजर : फसल व व्यापार पर

भारत में धान्य की पैदावार उत्तम होगी। भावों में गिरावट आएगी। सोना-पीतल के साथ पीली वस्तुओं में (विशेषकर धातु) में तेजी आएगी। सूर्यग्रहण से प्रजा में वृद्धि एवं व्यापार में झटका। प्राकृतिक प्रकोप से कष्ट रहेगा। फरवरी में खंड वृद्धि, भूकंप, हिमपात का सामना करना पड़ेगा।

महँगाई का प्रकोप रहेगा। पशुओं में रोग फैलेगा। पशुओं के भावों में तेजी आएगी। रस पदार्थ में तेजी रहेगी।

मार्च में किसी बड़े नेता पर मृत्यु तुल्य कष्ट या अवसान के योग बनते हैं। पश्चिम भारत में घी की तेजी होगी। सभी धान्यों में भाव की तेजी होगी। अप्रैल में भी तेजी रहेगी। पेय पदार्थ कोल्ड्रिंक्स एवं रस पदार्थ के तेज भाव रहेंगे। घी के भाव में तेजी रहेगी। मई में किसी बड़ी दुर्घटना के योग बनते हैं। जून में वाहन मालिक पर मुसीबत आएगी। डीजल के भाव में वृद्धि के योग। लालमिर्च, गेरू, कपूर, चंदन में भी वृद्धि का सामना करना पड़ेगा।

जुलाई माह थोड़ा ठीक रहेगा। प्रजा में सुख की वृद्धि होगी। अगस्त में धान्य के भाव कम होंगे। रस एवं घी तेज होगा। सितंबर मास में आर्थिक संकट बना रहेगा। वर्षा कहीं कम-कहीं ज्यादा होगी। अक्टूबर माह शासक व प्रजा के बीच मधुर संबंध बनेंगे। सद्‍भावना की वृद्धि होगी। ठंडक बढ़ेगी। सूर्य की तपन कम होगी।

नवंबर माह घास एवं फल-फूल के भावों में तेजी लाएगा। दिसंबर मास में शीत प्रकोप उपद्रव, बंद, हड़ताल से प्रजा को कष्ट रहेगा। कई प्रांतों में सरकार में फेरबदल होंगे।

Read more...

सनकी आदमी

अनुशासित रहना अच्‍छी बात है। अनुशासन हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है और हमें सफल बनाता है। यदि कोई व्यक्ति पागलपन की हद तक अनुशासित रहे यानी ‍सफाई करे तो इस हद तक कि सारे समय सूक्ष्म निरीक्षण, कपड़े इस्तरी करें तो सिलवटें ही दूर करते रहें। अर्थात हर काम में अति। ऐसे लोगों को सनकी की उपाधि मिल जाती है।

इसमें इन व्यक्तियों का नहीं, उनके ग्रहों का कसूर होता है। बृहस्पति और मंगल दोनों ही ऊर्जा, ज्ञान, सलीका व अनुशासन के लिए जाने जाते हैं। जब ये दोनों ग्रह सामान्य होते हैं (यानी ठीक स्थिति में) तो व्यक्ति स्वयं को सलीके से, अनुशासित तरीके से रखना पसंद करता है। ये व्यक्ति स्वयं के साथ अपने आसपास के लोगों को भी अनुशासित रखने में रुचि दिखाते हैं।

मगर जब ये बृहस्पति व मंगल अच्छे भावों के (लग्न, पंचम, नवम, दशम) के स्वामी होकर अति कमजोर या अति प्रबल हो जाते हैं तो व्यक्ति सनकी बन जाता है। प्रबल बृहस्पति उसे अहंकारी बना देता है और प्रबल मंगल उसे अड़ियल और गुस्सैल बना देता है। ऐसे में व्यक्ति स्वयं को सबसे ज्ञानी व सही मानता है और बाकी सभी को अपने मुताबिक चलाने व ‍निर्देशित करने का प्रयास करता है।



विशेषकर यदि गुरु व मंगल स्वराशिस्थ हो जाता हो या मूल त्रिकोण में हो तो यह प्रभाव बढ़ जाता है। व्यक्ति अति अनुशासित स्वयं तो होना ही चाहता है, दूसरों पर अविश्वास करने लगता है। उनके किए गए कार्यों में मीन-मेख निकालकर स्वयं को श्रेष्ठ साबित करना उसका स्वभाव बन जाता है और लोग उनसे बचने लगते हैं, वे समाज में हँसी के पात्र बन जाते हैं।

इस स्थिति को टालने के लिए गाय की सेवा करना, पीली वस्तु का दान करना, रक्त दान करना, बंदरों को चने खिलाना, बहते पानी में गुड़ बहाना और केले का पूजन करना लाभदायक हो सकता है। गुरु की शरण लेना और इष्ट देव की आराधना करना अति उत्तम रहेगा।

Read more...

Read more...

प्रतिष्ठादायक है गुरु-सूर्य का संयोग

कुंडली में सूर्य तेज का, राज्य पक्ष का कारक है और गुरु ज्ञान का, विद्या का कारक है। इन दोनों की युति, प्रतियुति या नम-पंचम योग बड़े ही फलदायक होते हैं। यह योग उच्च फलदाता होता है। ऐसे व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाते हैं, उच्च स्तरीय ‍शिक्षा प्राप्त करने के इन्हें ढेरों अवसर मिलते हैं, रिसर्च या शोध के क्षेत्र में नाम कमाते हैं व शिक्षा हेतु उच्च कोटि के प्रवास भी करते हैं।यह योग शुभ भावों में (विशेषत: 1, 5, 9, 10 में) हो तो व्यक्ति उदार मन की, सहृदय, तेजस्वी व आदर्शवादी होते हैं। मन की बात स्पष्ट रूप से कहना इनकी खासियत होती है। यह युति कुंडली से होने पर 26वें वर्ष में भाग्योदय होता है और मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, कीर्ति सब कुछ मिलता है। राजकीय सम्मान भी सूर्य की महादशा में मिलता है व बौद्धिक क्षेत्र में मनचाहा कार्यपद मिलता यह युति मेष, सिंह व धनु लग्न के लिए अधिक फलदायक है, क्योंकि इनमें गुरु व सूर्य लग्न पंचम या नवम भाव के स्वामी होकर श्रेष्ठ फल देते हैं। ऐसे में यह युति इन्हीं भावों में हो तो व्यक्ति को शिखर पर पहुँचा देती हैं। यह युति पिता, गुरु और बुजुर्गों के विशेष स्नेह व आशीर्वाद का भी सूचक है। लग्न में यह युति होने पर गुरु का दृष्‍टिफल पंचम, सप्तम व नवम को मिलता है। यह युति पंचम में होने पर नवम, आय व लग्न भाव को बल मिलत‍ा है। और नवम में होने पर लग्न, पराक्रम व पंचम को बल मिलता है। यह युति ज्ञान व अध्यात्म में भी विशेष रूचि को दर्शा‍ती है।

Read more...

वास्तु बिना तोड़ फोड़ के

बिना तोड़-फोड़ के निम्नलिखित उपाय से वास्तुदोष से सरलता पूर्वक छुटकारा पा सकते हैं

- अपनी रूचि के अनुसार सुगन्धित फूलों का गुलदस्ता सदैव अपने सिरहाने की ओर कोने में सजाएँ।
- शयन कक्ष में जूठे बर्तन न रखे इससे पत्नी का स्वास्थ्य खराब होता है, धन की कभी अनुभव होने लगती है।
- परिवार का कोई सदस्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो काले मृग की चर्म बिछाकर सोने से लाभ होता है। किसी भी सदस्य को बुरे स्वप्न आते हो तो गंगा जल सिरहाने रख कर सोएँ।

- परिवार में कोई रोग ग्रस्त हो तो चांदी के पात्र में शुद्ध केसरयुक्त गंगा जल भरकर सिरहाने रखें।
- अगर कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो कमरे में शुद्ध घी का दीपक जलाकर रखें इसके साथ गुलाब की अगरबत्ती भी जलाएँ।
- शयनकक्ष के झाडू न रखें। तेल का कनस्तर, अंगीठी आदि न रखें। व्यर्थ की चिंता बनी रहेगी। यदि कष्ट हो रहा है तो तकिए के नीचे लाल चंदन रख कर सोएँ।


- यदि दुकान में चोरी होती है तो दुकान की चौखट के पास पूजा करके मंगल यंत्र स्थापित करें।
- दुकान में मन नहीं लगता तो श्वेत गणपति की मूर्ति विधिवत्‌ पूजा करके मुख्य द्वार के आगे और पीछे स्थापित करना चाहिए।
- यदि दुकान का मुख्य द्वार अशुभ है या दक्षिण पश्चिम या दक्षिण दिशा में है तो 'यमकीलक यंत्र' का पूजन करके स्थापना करें। यदि सरकारी कर्मचारी द्वारा परेशान हैं तो सूर्य यंत्र की विधिवत्‌ पूजा करके दुकान में स्थापना करें।

- सींढ़ियों के नीचे बैठकर महत्वपूर्ण कार्य न करें।
- दुकान, फैक्ट्री, कार्यालय आदि स्थानों में वर्ष में एक बार पूजा अवश्य करें।
- गुप्त शत्रु परेशान कर रहे हैं तो लाल चाँदी के सर्प बनाकर उनकी आँखों में सुरमा लगाकर पैर के नीचे रख कर सोना चाहिए।

- जबसे आपने मकान लिया है तब से भाग्य साथ नहीं दे रहा है और लगता हैं पुराने मकान में सब कुछ ठीक-ठाक था या अब परेशानियाँ हैं तो घर में पीले रंग के पर्दे लगवाएँ।
- सटे भवन में हल्दी के छींटे मारें और गुरु को पीले वस्त्र दान करें।
- यदि संतान आज्ञाकारी नहीं है, संतान सुख और संतान का सहयोग प्राप्त हो, इसके लिए सूर्य यंत्र या तांबा वहाँ पर रखें जहाँ भवन का प्रवेश द्वार है। प्राण प्रतिष्ठा करा कर रखें।

Read more...

tantrik

आधुनिकता की आँधी में उड़ रहे समाज में जहाँ एक ओर वैज्ञानिक सोच के जरिए तमाम ंधविश्वासों को तहस-नहस करके उनके मानने वालों को बेवकूफ साबित किया जा रहा है, वहीं अभी भी अनेक ऐसे लोग हैं जो ंधविश्‍वास में अंधे होकर आए दिन आप‍राधिक षडयंत्रों का आसान शिकार बन रहे हैं।

ये तंत्र-मंत्र की आड़ में अपने आपराधिक षडयंत्र को फलीभू‍त करने में जुटे तांत्रिकों के जाल में फँसने वाली मछली बन चुके हैं। होश तब आता है जब ये अपना सब कुछ गवाँ बैठते हैं। आए दिन हो रही इस तरह की सनसनीखेज वारदातों के बावजूद कई लोग बेवकूफ बनने के लिए तैयार रहकर लगातार इनके चुंगल में फँस रहे हैं।


तांत्रिक बाबाओं के पास कोई अपनी असाध्य बीमारी की दवा लेने आता है तो कोई घरेलू दिक्कतों का इलाज कराने, कोई बच्चा न पैदा होने के कारण का निवारण करवाने पहुँच जाता है।

कोई दफ्तर में चल रही अपने खिलाफ मुहिम को अस्त-व्यस्त करने, तो किसी को शक होता है कि पड़ोसी ने कुछ करवा-धरवा दिया है। इसी के चलते आए दिन एक नई समस्या मुँह बाएँ खड़ी रहती है। यानी किस्म-किस्म की समस्या और उसी प्रकार तरह-तरह के दकियानूसी समाधान।

Read more...

दिसंबर में आने वाले कुछ योग

इस सृष्टि का विधान रहा है परिवर्तन। जब-जब कुछ परिवर्तन होते हैं तो उसके शुभ एवं अशुभ फल अवश्य होते हैं। देखें दिसंबर ग्रहों की राशि एवं नक्षत्र में परिवर्तन एवं उनके फल।


1 दिसंबर 2009 को बुध ग्रह अपनी राशि को परिवर्तित कर धनु राशि में प्रवेश करने जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप सरकार एवं आम जनता में विरोध उत्पन्न होगा, इसका दूसरा प्रभाव जंगली जानवरों पर पड़ेगा, विशेषकर मृग एवं हाथी पर विपत्ति आएगी।

यत्रमासे पंचवारा जायन्ते च बृहस्पते:।

दिसंबर माह में 5 गुरुवार पड़ रहे हैं। इसके फलस्वरूप पश्चिम देशों में युद्ध की संभावना बनती है, इसके साथ ही विग्रह का संकेत होता है। एक ही माह में पाँच गुरुवार होने से यह स्थिति बनेगी। बुध पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 10/12/2009 को प्रवेश कर रहा है। उसके फलस्वरूप रोग बढ़ने का खतरा उत्पन्न होगा।


15 दिसंबर 2009 को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसके परिणामस्वरूप उत्तर तथा पश्चिम के देशों में पीड़ा, पूर्व के देशों में युद्ध आदि का भय एवं दक्षिण के देशों में सुख होगा। इस माह की कुंडली पर दृष्टि डालें तो ग्रहों की स्थिति अनुसार शुक्र एवं सूर्य एक ही राशि पर एक साथ विराजमान है, जिसके प्रभाव स्वरूप शीतलहर में वृद्धि होगी। 16 दिसंबर गुरुवार को शनि हस्त ‍नक्षत्र में प्रवेश करेगा। अर्थात मनुष्य का नाश (मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट) करने वाला विशेषकर ब्राह्मण पर बहुत असर पड़ेगा। लोग विरोध में खड़े होंगे। इसी के साथ गाय पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

19 दिसंबर को गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप कृषि संबं‍धित नुकसान होगा। वर्षा कम होगी। इसी के साथ पूर्व देश में धान्य सस्ता होगा। 31 दिसंबर को खंडग्रास चंद्रग्रहण रहेगा जोकि आर्द्रा नक्षत्र में आएगा। इसके फलस्वरूप चोर, तांत्रिकों (मंत्र-यंत्र से शत्रुओं को पीड़ा देने वाले) मांत्रिकों एवं इनसे संबंध रखने वाले व्यक्ति को पीड़ा होगी।

पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात व ओलावृष्टि के साथ शीत में भारी वृद्धि होने की संभावना रहेगी। हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड में तेज शीतलहर के साथ-साथ बूँदाबाँदी होगी।

ये ग्रह प्रत्येक नक्षत्र एवं र‍ाशि पर भ्रमण करते हैं, उस आधार पर परिणाम आते हैं। ईश्वरीय शक्ति की आराधना से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

Read more...

ज्योतिष के कुछ योग

वैसे तो ज्योतिष में इतने योग हैं की अगर उनकी चर्चा करू तो पूरी कीताब ही बन जाएगी पर कुछ बाते बताने का मन कर रह था तो ये आलेख लिख रहा हूँ ९ ग्रहों की विभ्हीन भावों और  राशियों में स्थिती अनेक योगो का निर्माण कराती हैं  यह भी आवश्यक  नहीं की योग में  २ या अधीक ग्रह हो कई बार देखने में आया  हैं की केवल एक ग्रह से भी योग बन जाता हैं  मंगल बुध  गुरु  शुक्र  व् शनी यदी अकेले या अपनी उच्च राशी में केंद्र में स्थित  हो तो भी अलग अलग नाम वाले पञ्च महा पुरुष  योग का निर्माण हो जाता हैं इसी प्रकार यदी केंद्र का स्वामी केंद्र में या त्रिकोण में हो  या ८वे  स्थान  का स्वामी  ६थे या बहरवे  भाव ६थे  का स्वामी आठवे या बहर्वे भाव  में स्थित हो तो एक ग्रह भी राज योग का निर्माण कर सकता हैं बाकी जन्हा राज योग होते हैं वन्ही राज भंग योग भी होते हैं राज भंग योग के बारे में फिर कभी  यदी सभी ग्रह एक ही भाव में  हो तो  गोल योग  और सात ग्रह सात घरो में एक के बाद एक  हो तो वीणा योग होता हैं , केवल चार ग्रह दशम भाव में हो तो जातक को सन्यासी भी बना देते हैं ये मेरे अनुभव में आया हैं वैसे थोडा सा अंतर होने पर परिणाम में भी पर्याप्त अन्तर आ जाता है  इस लिए छमा चाहता  हूँ  क्यों की देश काल और समय के अनुसार परिणाम भी बदलते रहते हैं वैसे योग कुयोग भी हो सकते हैं और  सुयोग भी इस सब की विवेचना ज्योतिषी की ज्ञान अनुभव और गुरु कृपा  पर  निर्भर होता हैं निरंतर अध्यन  से और कुंडलियों के विवेचन से भी ये छमता बढाती हैं यंहा एक बात कहना चाहूँगा की चपरासी की नोकरी भी राज योग हैं और प्रधान मंत्री की कुर्सी भी राज योग हैं  तो राज योग का मतलब अलग अलग ही होता हैं निर्भर करता हैं कुंडली में स्थित योगो  पर
                                                                                                               इती शुभम
                                                                                                               वीनोद रांका

Read more...

छमा प्राथी

सभी समर्थको से और सभी दोस्तों से और सभी मेरे ब्लॉग विस्टर से में तहे दिल से छमा प्राथी हूँ  आप की शिकायत वाजिब हैं की में आप के सवालो का जवाब जल्दी नहीं दे पता असल में में विडियो एडिटर हूँ और मेरा काम बड़ा थका देने वाला होता हैं मुझे सुबह ११ बजे से रत को ११ बजे तक काम करना होता हैं बाद में अपने लिए बचे दो घंटो में में या तो ज्योतिष विद्वानों की किताबे पड़ता हूँ और करीब एक घंटे बेठ कर आई हूई कुंडलियों का विवेचन करता हूँ  उसमे भी कुछ कुंडलियों का जवाब तैयार करके जैसे ही रेपली देता हूँ तो  पता चलता हैं की वो मेल आईडी  ही गलत हैं बड़ा दुख होता हैं की इसे भी लोगो ने मजाक बना लिया कुछ लोग छदम सवाल करते हैं जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं होता अब रही बात जो वास्तव में मुझ पर विश्वाश कर के परशन पूछते हैं उनमे से मुझे वो सवाल देखने होते हैं जिनका जवाब बहूत ज्यादा जरुरी होता हैं इस लिए मेरे सरे दोस्त जो मुझ पर विश्वाश कर के प्रशन  करते हैं उनको में जवाब जरुर दूंगा हा थोड़ी सी देर हो सकती हैं इसके लिए मैन छमा प्राथी हूँ और एक बात दिमाग में आ रही हैं की अगर किसी के मिलते जुलते सवाल और मिलाती जुलती कुंडली हूई तो मैन दोनों के नाम सहीत बोल्ग़ पर ही उतर दे दूंगा आशा करता हूँ मेरे चाहने वाले मेरे से नाराज नहीं होंगे और मुझे अपना पहले जैसा ही प्यार देते रहेंगे
                                                                                                                           आपका ज्योतिष विधार्थी
                                                                                                                                 वीनोद रांका 

Read more...

रहू केतु का राशी परिवर्तन


इन दिनों तीन ग्रह अपनी राशि बदल रहे है। ये तीन ग्रह हैं शनि, गुरु और राहु। इनका राशि परिवर्तन सरकार के लिए परेशानी का कारण बनेगा। सरकार मूक बनी नजर आएगी। शनि कन्या राशि में आ चुका है, गुरु 20 दिसम्बर को रात्रि 3 बजे आएगा वहीं राहु 3 नवम्बर को सुबह 4.30 पर नीच का होकर आएगा। इस वर्ष तीन ग्रहों का राशि परिवर्तन होना किसी अनहोनी की आशंका का संकेत देता है।

गुरु ज्ञान का कारक है वहीं धर्म, न्याय, प्रशासनिक क्षेत्र, राजनीति का कारक है जो शत्रु राशि कुंभ में होगा। वहीं गुरु की धनु राशि में नीच का राहु जो अकस्मात घटना का कारक है, नीच प्रवृति का होने से धर्म के क्षेत्र में हानि कराएगा। कहीं न कहीं घटना- दुर्घटना का भी कारण बन सकता है।

शनि जब भी राशि परिवर्तन करता है तब महँगाई, असंतोष, अराजकता पैदा होती है। राजनीति के क्षेत्र में भी गड़बड़ी का कारण बनता है। गुरु का कुंभ में होना एक राशि सिंह पर मित्र दृष्टि व दो राशि मिथुन व तुला पर शत्रु दृष्टि डालने से इन भावों पर अच्छा प्रभाव नही पड़ेगा।

इधर शनि की एक राशि पर परम शत्रु दृष्टि होने से कहीं न कहीं हानिप्रद रहेगा। राहु भी जिस भाव में नीच का होगा उस भाव को क्षति पहुँचाएगा। आइए, प्रत्येक लग्न पर इनका प्रभाव कैसा रहेगा, जानें। मेष लग्न या राशि वालों के लिए शनि षष्ट भाव से आयु के मामलों में या स्वास्थ्य के मामलों में सावधानी रखकर चलना होगा, राहु का गोचरीय भ्रमण भाग्य में नीच का होगा अतः इन राशि वालों के लिए भाग्य व धर्म के क्षेत्र में सावधानी रखना होगी।


गुरु दाम्पत्य जीवन के मामलों मे बाधक बन सकता है। वृषभ राशि या लग्न वालों के लिए शनि अपने जीवन साथी के मामलों में तकलीफ देगा, राहु अष्टम से भ्रमण करेगा जो अकस्मात बीमारी का कारण बनता है।

गुरु रोग, कर्ज बढ़ा सकता है। मिथुन लग्न या राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण चतुर्थ भाव से रोग कर्ज बढ़ाता है वहीं राहु का भ्रमण सप्तम भाव से भ्रमण करेगा। इस कारण अपने जीवन साथी को कष्ट देगा वहीं दैनिक व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के लिए राहु ठीक नहीं रहता।

गुरु का भ्रमण नवम भाग्य से होने के कारण धर्म-कर्म में मन न लगना, भाग्य में रुकावट, संतान को कष्ट रहता है। कर्क लग्न व राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण तृतीय से होने के करण संतान, विद्या में बाधा रहती है। राहु का भ्रमण षष्ट भाव से होने के कारण रोग, कर्जादि की परेशानी का कारण बनता है वहीं मामा, नाना पक्ष में कुछ अशुभ समाचार मिल सकता है।

गुरु का भ्रमण अष्टम भाव से होने के कारण भाग्य में कमी, पारिवारिक बाधा रहती है। सिंह लग्न व राशि वालों के लिए शनि पारिवारिक बाधा व राहु का पंचम से भ्रमण विद्यार्थी वर्ग के लिए परेशानी, संतान को कष्ट, प्रेम संबंधी मामलों में बाधा रहेगी। गुरु का सप्तम से भ्रमण बहनों से अनबन का कारण भी बन सकता है। कन्या लग्न व राशि वालों के लिए शनि पराक्रम में कमी, भाइयों से द्वेष का कारण बनता है, राहु चतुर्थ से भ्रमण करने से पारिवारिक परेशानी, माता को कष्ट, जनता से संबंधित मामलों मे रुकावट का कारण बनता है।

गुरु षष्ट भाव से भ्रमण करने के कारण दांपत्य जीवन में बाधा, धन, कुटुम्ब के मामलों में भी परेशानी देगा। तुला लग्न व राशि वालों के लिए शनि धन व कुटुम्ब के मामलों में बाधा बनता है वहीं राहु का भ्रमण तृतीय भाव से होने के कारण भाइयों से विरोध, पराक्रम में कमी, साझेदारियों से हानि का कारण बनता है।

गुरु पंचम से भ्रमण करने के कारण संतान, विद्यादि के मामलों में व स्वयं के कामों में देरी का कारण बनेगा। वृश्चिक लग्न व राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण स्वयं के लिए ठीक नहीं वहीं राहु का भ्रमण द्वितीय भाव से होने के कारण धन, वाणी, कुटुम्ब वालों के मामलों मे बाधा का कारण बनता है। गुरु का भ्रमण चतुर्थ से होने के कारण पारिवारिक मामलों में ठीक नहीं रहता, यात्रादि में सावधानी रखें।

धनु लग्न व राशि वालों के लिए राहु का लग्न से भ्रमण मानसिक चिन्ता का कारण बनता है, गुरु का भ्रमण पराक्रम में कमी व भाइयों से वाद-विवाद का कारण बनता है। शनि बाहरी मामलों में सावधानी का संकेत देता है। मकर लग्न व राशि वालों के लिए राहु का भ्रमण द्वादश भाव से होने के कारण बाहरी संबंधों में कष्ट व परेशानी रहे, लेनदेन सावधानी से करें, गुरु का भ्रमण द्वितीय भाव से होने के कारण धन की बचत कम होगी, व्यापार में सतर्कता रखें व नौकरी-पेशा सावधानी रखें। शनि आय व शेयर के मामलों मे बाधक बनता है।

कुंभ लग्न व राशि वालों के लिए गुरु का भ्रमण लग्न से होने के कारण जीवन साथी से लाभ व स्वयं के लिए थोड़ा कष्टकारी रहता है। राहु का भ्रमण एकादश भाव से होने के कारण आर्थिक बाधा व शेयर बाजार में नुकसान देता है, शनि व्यापार, नौकरी आदि के क्षेत्र में रुकावट देता है।

मीन लग्न व राशि वालों के लिए राहु का भ्रमण दशम से होने के कारण व्यापार, नौकरी, पिता के क्षेत्र में बाधा का कारण बनता है। गुरु का भ्रमण बाहरी मामलों में सावधानी का संकेत देता है व स्वास्थ्य के मामलों में भी सावधानी रखने का संकेत है। शनि भाग्य में रुकावट का कारण बनता है।

स्वतन्त्र भारत की कुंडली में राहु का भ्रमण अष्टम भाव से होने के कारण किसी अनहोनी का संकेत है जिससे जनहानि संभव है। आम जनता के लिए बीमारी से कष्ट रहने का संकेत है। गुरु का भ्रमण दशम भाव से होने के कारण राजनीति में कहीं बदलाव, आपसी तालमेल की कमी का कारण बनता है। ये तीन ग्रहों का बदलाव भारत के लिए आकस्मिक युद्ध का संकेत भी है।

Read more...

आपका नाम
ईमेल
Sex

Birth Time
Date of Birth
Birth place
आपका सवाल
Image Verification
captcha
Please enter the text from the image:
[ Refresh Image ] [ What's This? ]