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स्वागत

नमस्कार मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत हैं, काफी ज्योतिष विद्वानों के साथ रह कर और गुरु जी की कृपा से ज्योतिष सीखी, खूब अध्ययन किया फिर कुछ इसे ज्योतिष मित्रो से मुलाकाते हुई जो ज्योतीस का व्यव्शायिक उपयोग करते हैं और हद तो तब होती हैं जब वो किसी से वो असी असी बातो के पैसे ले हैं जिनका ज्योतिष से कोई सरोकार ही नहीं हैं यानी एक ज्योतिषी तांत्रिक भी बन बेठा और ज्योतिषी भी बड़ा दुःख और आश्चर्य होता जब लोग उनकी बातो पर यकीं भी करते और उनको पैसा भी देते फिरक पड़ना या न पड़ना दूसरी बात हैं कोई ज्योतिषी भगवन नहीं हो सकता न ही कोई भी कांफिडेंस से ये दावा कर सकता हैं की १००% काम होगा ही होगा क्योंकी अगर भाग्य पर विश्वाश हैं तो कर्म पर भी होना हैं एक महाशय से मुलाकात हूई इस ज्योतिष यात्रा में तो जनाब ने बताया एक पर्सन का उतर देने के वो ५००० रुपये लेते हैं अपने आप को इसे पेश करते हैं की आम आदमी तो बेचारा उनके सामने बताने से ही ढेर हो जाये यंहा एक बात और ज्योतिषी को एक अच्छा वक्ता होने की भी जरुरत हैं, यंहा ब्लॉग लिखने का कारन यही हैं में व्यावसायिक ज्योतिषी नहीं हूँ न ही बनाना चाहता हूँ पर अपने गुरु के द्वारा दिए गए ग्यान को गवाना भी नहीं चाहता बस यही कारन हैं के मैंने ये ब्लॉग बना डाला इस ब्लॉग में आप की कोई भी समस्या हो में हर संभव कोशिस करूँगा की आप की समस्या का हल निकल पाऊ आप मेरे से vinod.rankas@gmail.com पर समपर्क कर सकते हैं समय मिलते ही आप को जवाब जरुर दूंगा और 9252498385 पर संपर्क कर सकते हैं पर फोन पर समपर्क तभी करे जब आप की समस्या अति गंभीर हो और तुंरत समाधान चाहिए हो अनावश्यक फोन न करे और मेल पर समपर्क कर ले धन्यवाद्

सनकी आदमी

अनुशासित रहना अच्‍छी बात है। अनुशासन हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है और हमें सफल बनाता है। यदि कोई व्यक्ति पागलपन की हद तक अनुशासित रहे यानी ‍सफाई करे तो इस हद तक कि सारे समय सूक्ष्म निरीक्षण, कपड़े इस्तरी करें तो सिलवटें ही दूर करते रहें। अर्थात हर काम में अति। ऐसे लोगों को सनकी की उपाधि मिल जाती है।

इसमें इन व्यक्तियों का नहीं, उनके ग्रहों का कसूर होता है। बृहस्पति और मंगल दोनों ही ऊर्जा, ज्ञान, सलीका व अनुशासन के लिए जाने जाते हैं। जब ये दोनों ग्रह सामान्य होते हैं (यानी ठीक स्थिति में) तो व्यक्ति स्वयं को सलीके से, अनुशासित तरीके से रखना पसंद करता है। ये व्यक्ति स्वयं के साथ अपने आसपास के लोगों को भी अनुशासित रखने में रुचि दिखाते हैं।

मगर जब ये बृहस्पति व मंगल अच्छे भावों के (लग्न, पंचम, नवम, दशम) के स्वामी होकर अति कमजोर या अति प्रबल हो जाते हैं तो व्यक्ति सनकी बन जाता है। प्रबल बृहस्पति उसे अहंकारी बना देता है और प्रबल मंगल उसे अड़ियल और गुस्सैल बना देता है। ऐसे में व्यक्ति स्वयं को सबसे ज्ञानी व सही मानता है और बाकी सभी को अपने मुताबिक चलाने व ‍निर्देशित करने का प्रयास करता है।



विशेषकर यदि गुरु व मंगल स्वराशिस्थ हो जाता हो या मूल त्रिकोण में हो तो यह प्रभाव बढ़ जाता है। व्यक्ति अति अनुशासित स्वयं तो होना ही चाहता है, दूसरों पर अविश्वास करने लगता है। उनके किए गए कार्यों में मीन-मेख निकालकर स्वयं को श्रेष्ठ साबित करना उसका स्वभाव बन जाता है और लोग उनसे बचने लगते हैं, वे समाज में हँसी के पात्र बन जाते हैं।

इस स्थिति को टालने के लिए गाय की सेवा करना, पीली वस्तु का दान करना, रक्त दान करना, बंदरों को चने खिलाना, बहते पानी में गुड़ बहाना और केले का पूजन करना लाभदायक हो सकता है। गुरु की शरण लेना और इष्ट देव की आराधना करना अति उत्तम रहेगा।

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प्रतिष्ठादायक है गुरु-सूर्य का संयोग

कुंडली में सूर्य तेज का, राज्य पक्ष का कारक है और गुरु ज्ञान का, विद्या का कारक है। इन दोनों की युति, प्रतियुति या नम-पंचम योग बड़े ही फलदायक होते हैं। यह योग उच्च फलदाता होता है। ऐसे व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाते हैं, उच्च स्तरीय ‍शिक्षा प्राप्त करने के इन्हें ढेरों अवसर मिलते हैं, रिसर्च या शोध के क्षेत्र में नाम कमाते हैं व शिक्षा हेतु उच्च कोटि के प्रवास भी करते हैं।यह योग शुभ भावों में (विशेषत: 1, 5, 9, 10 में) हो तो व्यक्ति उदार मन की, सहृदय, तेजस्वी व आदर्शवादी होते हैं। मन की बात स्पष्ट रूप से कहना इनकी खासियत होती है। यह युति कुंडली से होने पर 26वें वर्ष में भाग्योदय होता है और मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, कीर्ति सब कुछ मिलता है। राजकीय सम्मान भी सूर्य की महादशा में मिलता है व बौद्धिक क्षेत्र में मनचाहा कार्यपद मिलता यह युति मेष, सिंह व धनु लग्न के लिए अधिक फलदायक है, क्योंकि इनमें गुरु व सूर्य लग्न पंचम या नवम भाव के स्वामी होकर श्रेष्ठ फल देते हैं। ऐसे में यह युति इन्हीं भावों में हो तो व्यक्ति को शिखर पर पहुँचा देती हैं। यह युति पिता, गुरु और बुजुर्गों के विशेष स्नेह व आशीर्वाद का भी सूचक है। लग्न में यह युति होने पर गुरु का दृष्‍टिफल पंचम, सप्तम व नवम को मिलता है। यह युति पंचम में होने पर नवम, आय व लग्न भाव को बल मिलत‍ा है। और नवम में होने पर लग्न, पराक्रम व पंचम को बल मिलता है। यह युति ज्ञान व अध्यात्म में भी विशेष रूचि को दर्शा‍ती है।

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वास्तु बिना तोड़ फोड़ के

बिना तोड़-फोड़ के निम्नलिखित उपाय से वास्तुदोष से सरलता पूर्वक छुटकारा पा सकते हैं

- अपनी रूचि के अनुसार सुगन्धित फूलों का गुलदस्ता सदैव अपने सिरहाने की ओर कोने में सजाएँ।
- शयन कक्ष में जूठे बर्तन न रखे इससे पत्नी का स्वास्थ्य खराब होता है, धन की कभी अनुभव होने लगती है।
- परिवार का कोई सदस्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो काले मृग की चर्म बिछाकर सोने से लाभ होता है। किसी भी सदस्य को बुरे स्वप्न आते हो तो गंगा जल सिरहाने रख कर सोएँ।

- परिवार में कोई रोग ग्रस्त हो तो चांदी के पात्र में शुद्ध केसरयुक्त गंगा जल भरकर सिरहाने रखें।
- अगर कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो कमरे में शुद्ध घी का दीपक जलाकर रखें इसके साथ गुलाब की अगरबत्ती भी जलाएँ।
- शयनकक्ष के झाडू न रखें। तेल का कनस्तर, अंगीठी आदि न रखें। व्यर्थ की चिंता बनी रहेगी। यदि कष्ट हो रहा है तो तकिए के नीचे लाल चंदन रख कर सोएँ।


- यदि दुकान में चोरी होती है तो दुकान की चौखट के पास पूजा करके मंगल यंत्र स्थापित करें।
- दुकान में मन नहीं लगता तो श्वेत गणपति की मूर्ति विधिवत्‌ पूजा करके मुख्य द्वार के आगे और पीछे स्थापित करना चाहिए।
- यदि दुकान का मुख्य द्वार अशुभ है या दक्षिण पश्चिम या दक्षिण दिशा में है तो 'यमकीलक यंत्र' का पूजन करके स्थापना करें। यदि सरकारी कर्मचारी द्वारा परेशान हैं तो सूर्य यंत्र की विधिवत्‌ पूजा करके दुकान में स्थापना करें।

- सींढ़ियों के नीचे बैठकर महत्वपूर्ण कार्य न करें।
- दुकान, फैक्ट्री, कार्यालय आदि स्थानों में वर्ष में एक बार पूजा अवश्य करें।
- गुप्त शत्रु परेशान कर रहे हैं तो लाल चाँदी के सर्प बनाकर उनकी आँखों में सुरमा लगाकर पैर के नीचे रख कर सोना चाहिए।

- जबसे आपने मकान लिया है तब से भाग्य साथ नहीं दे रहा है और लगता हैं पुराने मकान में सब कुछ ठीक-ठाक था या अब परेशानियाँ हैं तो घर में पीले रंग के पर्दे लगवाएँ।
- सटे भवन में हल्दी के छींटे मारें और गुरु को पीले वस्त्र दान करें।
- यदि संतान आज्ञाकारी नहीं है, संतान सुख और संतान का सहयोग प्राप्त हो, इसके लिए सूर्य यंत्र या तांबा वहाँ पर रखें जहाँ भवन का प्रवेश द्वार है। प्राण प्रतिष्ठा करा कर रखें।

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tantrik

आधुनिकता की आँधी में उड़ रहे समाज में जहाँ एक ओर वैज्ञानिक सोच के जरिए तमाम ंधविश्वासों को तहस-नहस करके उनके मानने वालों को बेवकूफ साबित किया जा रहा है, वहीं अभी भी अनेक ऐसे लोग हैं जो ंधविश्‍वास में अंधे होकर आए दिन आप‍राधिक षडयंत्रों का आसान शिकार बन रहे हैं।

ये तंत्र-मंत्र की आड़ में अपने आपराधिक षडयंत्र को फलीभू‍त करने में जुटे तांत्रिकों के जाल में फँसने वाली मछली बन चुके हैं। होश तब आता है जब ये अपना सब कुछ गवाँ बैठते हैं। आए दिन हो रही इस तरह की सनसनीखेज वारदातों के बावजूद कई लोग बेवकूफ बनने के लिए तैयार रहकर लगातार इनके चुंगल में फँस रहे हैं।


तांत्रिक बाबाओं के पास कोई अपनी असाध्य बीमारी की दवा लेने आता है तो कोई घरेलू दिक्कतों का इलाज कराने, कोई बच्चा न पैदा होने के कारण का निवारण करवाने पहुँच जाता है।

कोई दफ्तर में चल रही अपने खिलाफ मुहिम को अस्त-व्यस्त करने, तो किसी को शक होता है कि पड़ोसी ने कुछ करवा-धरवा दिया है। इसी के चलते आए दिन एक नई समस्या मुँह बाएँ खड़ी रहती है। यानी किस्म-किस्म की समस्या और उसी प्रकार तरह-तरह के दकियानूसी समाधान।

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दिसंबर में आने वाले कुछ योग

इस सृष्टि का विधान रहा है परिवर्तन। जब-जब कुछ परिवर्तन होते हैं तो उसके शुभ एवं अशुभ फल अवश्य होते हैं। देखें दिसंबर ग्रहों की राशि एवं नक्षत्र में परिवर्तन एवं उनके फल।


1 दिसंबर 2009 को बुध ग्रह अपनी राशि को परिवर्तित कर धनु राशि में प्रवेश करने जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप सरकार एवं आम जनता में विरोध उत्पन्न होगा, इसका दूसरा प्रभाव जंगली जानवरों पर पड़ेगा, विशेषकर मृग एवं हाथी पर विपत्ति आएगी।

यत्रमासे पंचवारा जायन्ते च बृहस्पते:।

दिसंबर माह में 5 गुरुवार पड़ रहे हैं। इसके फलस्वरूप पश्चिम देशों में युद्ध की संभावना बनती है, इसके साथ ही विग्रह का संकेत होता है। एक ही माह में पाँच गुरुवार होने से यह स्थिति बनेगी। बुध पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 10/12/2009 को प्रवेश कर रहा है। उसके फलस्वरूप रोग बढ़ने का खतरा उत्पन्न होगा।


15 दिसंबर 2009 को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसके परिणामस्वरूप उत्तर तथा पश्चिम के देशों में पीड़ा, पूर्व के देशों में युद्ध आदि का भय एवं दक्षिण के देशों में सुख होगा। इस माह की कुंडली पर दृष्टि डालें तो ग्रहों की स्थिति अनुसार शुक्र एवं सूर्य एक ही राशि पर एक साथ विराजमान है, जिसके प्रभाव स्वरूप शीतलहर में वृद्धि होगी। 16 दिसंबर गुरुवार को शनि हस्त ‍नक्षत्र में प्रवेश करेगा। अर्थात मनुष्य का नाश (मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट) करने वाला विशेषकर ब्राह्मण पर बहुत असर पड़ेगा। लोग विरोध में खड़े होंगे। इसी के साथ गाय पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

19 दिसंबर को गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप कृषि संबं‍धित नुकसान होगा। वर्षा कम होगी। इसी के साथ पूर्व देश में धान्य सस्ता होगा। 31 दिसंबर को खंडग्रास चंद्रग्रहण रहेगा जोकि आर्द्रा नक्षत्र में आएगा। इसके फलस्वरूप चोर, तांत्रिकों (मंत्र-यंत्र से शत्रुओं को पीड़ा देने वाले) मांत्रिकों एवं इनसे संबंध रखने वाले व्यक्ति को पीड़ा होगी।

पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात व ओलावृष्टि के साथ शीत में भारी वृद्धि होने की संभावना रहेगी। हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड में तेज शीतलहर के साथ-साथ बूँदाबाँदी होगी।

ये ग्रह प्रत्येक नक्षत्र एवं र‍ाशि पर भ्रमण करते हैं, उस आधार पर परिणाम आते हैं। ईश्वरीय शक्ति की आराधना से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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ज्योतिष के कुछ योग

वैसे तो ज्योतिष में इतने योग हैं की अगर उनकी चर्चा करू तो पूरी कीताब ही बन जाएगी पर कुछ बाते बताने का मन कर रह था तो ये आलेख लिख रहा हूँ ९ ग्रहों की विभ्हीन भावों और  राशियों में स्थिती अनेक योगो का निर्माण कराती हैं  यह भी आवश्यक  नहीं की योग में  २ या अधीक ग्रह हो कई बार देखने में आया  हैं की केवल एक ग्रह से भी योग बन जाता हैं  मंगल बुध  गुरु  शुक्र  व् शनी यदी अकेले या अपनी उच्च राशी में केंद्र में स्थित  हो तो भी अलग अलग नाम वाले पञ्च महा पुरुष  योग का निर्माण हो जाता हैं इसी प्रकार यदी केंद्र का स्वामी केंद्र में या त्रिकोण में हो  या ८वे  स्थान  का स्वामी  ६थे या बहरवे  भाव ६थे  का स्वामी आठवे या बहर्वे भाव  में स्थित हो तो एक ग्रह भी राज योग का निर्माण कर सकता हैं बाकी जन्हा राज योग होते हैं वन्ही राज भंग योग भी होते हैं राज भंग योग के बारे में फिर कभी  यदी सभी ग्रह एक ही भाव में  हो तो  गोल योग  और सात ग्रह सात घरो में एक के बाद एक  हो तो वीणा योग होता हैं , केवल चार ग्रह दशम भाव में हो तो जातक को सन्यासी भी बना देते हैं ये मेरे अनुभव में आया हैं वैसे थोडा सा अंतर होने पर परिणाम में भी पर्याप्त अन्तर आ जाता है  इस लिए छमा चाहता  हूँ  क्यों की देश काल और समय के अनुसार परिणाम भी बदलते रहते हैं वैसे योग कुयोग भी हो सकते हैं और  सुयोग भी इस सब की विवेचना ज्योतिषी की ज्ञान अनुभव और गुरु कृपा  पर  निर्भर होता हैं निरंतर अध्यन  से और कुंडलियों के विवेचन से भी ये छमता बढाती हैं यंहा एक बात कहना चाहूँगा की चपरासी की नोकरी भी राज योग हैं और प्रधान मंत्री की कुर्सी भी राज योग हैं  तो राज योग का मतलब अलग अलग ही होता हैं निर्भर करता हैं कुंडली में स्थित योगो  पर
                                                                                                               इती शुभम
                                                                                                               वीनोद रांका

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छमा प्राथी

सभी समर्थको से और सभी दोस्तों से और सभी मेरे ब्लॉग विस्टर से में तहे दिल से छमा प्राथी हूँ  आप की शिकायत वाजिब हैं की में आप के सवालो का जवाब जल्दी नहीं दे पता असल में में विडियो एडिटर हूँ और मेरा काम बड़ा थका देने वाला होता हैं मुझे सुबह ११ बजे से रत को ११ बजे तक काम करना होता हैं बाद में अपने लिए बचे दो घंटो में में या तो ज्योतिष विद्वानों की किताबे पड़ता हूँ और करीब एक घंटे बेठ कर आई हूई कुंडलियों का विवेचन करता हूँ  उसमे भी कुछ कुंडलियों का जवाब तैयार करके जैसे ही रेपली देता हूँ तो  पता चलता हैं की वो मेल आईडी  ही गलत हैं बड़ा दुख होता हैं की इसे भी लोगो ने मजाक बना लिया कुछ लोग छदम सवाल करते हैं जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं होता अब रही बात जो वास्तव में मुझ पर विश्वाश कर के परशन पूछते हैं उनमे से मुझे वो सवाल देखने होते हैं जिनका जवाब बहूत ज्यादा जरुरी होता हैं इस लिए मेरे सरे दोस्त जो मुझ पर विश्वाश कर के प्रशन  करते हैं उनको में जवाब जरुर दूंगा हा थोड़ी सी देर हो सकती हैं इसके लिए मैन छमा प्राथी हूँ और एक बात दिमाग में आ रही हैं की अगर किसी के मिलते जुलते सवाल और मिलाती जुलती कुंडली हूई तो मैन दोनों के नाम सहीत बोल्ग़ पर ही उतर दे दूंगा आशा करता हूँ मेरे चाहने वाले मेरे से नाराज नहीं होंगे और मुझे अपना पहले जैसा ही प्यार देते रहेंगे
                                                                                                                           आपका ज्योतिष विधार्थी
                                                                                                                                 वीनोद रांका 

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रहू केतु का राशी परिवर्तन


इन दिनों तीन ग्रह अपनी राशि बदल रहे है। ये तीन ग्रह हैं शनि, गुरु और राहु। इनका राशि परिवर्तन सरकार के लिए परेशानी का कारण बनेगा। सरकार मूक बनी नजर आएगी। शनि कन्या राशि में आ चुका है, गुरु 20 दिसम्बर को रात्रि 3 बजे आएगा वहीं राहु 3 नवम्बर को सुबह 4.30 पर नीच का होकर आएगा। इस वर्ष तीन ग्रहों का राशि परिवर्तन होना किसी अनहोनी की आशंका का संकेत देता है।

गुरु ज्ञान का कारक है वहीं धर्म, न्याय, प्रशासनिक क्षेत्र, राजनीति का कारक है जो शत्रु राशि कुंभ में होगा। वहीं गुरु की धनु राशि में नीच का राहु जो अकस्मात घटना का कारक है, नीच प्रवृति का होने से धर्म के क्षेत्र में हानि कराएगा। कहीं न कहीं घटना- दुर्घटना का भी कारण बन सकता है।

शनि जब भी राशि परिवर्तन करता है तब महँगाई, असंतोष, अराजकता पैदा होती है। राजनीति के क्षेत्र में भी गड़बड़ी का कारण बनता है। गुरु का कुंभ में होना एक राशि सिंह पर मित्र दृष्टि व दो राशि मिथुन व तुला पर शत्रु दृष्टि डालने से इन भावों पर अच्छा प्रभाव नही पड़ेगा।

इधर शनि की एक राशि पर परम शत्रु दृष्टि होने से कहीं न कहीं हानिप्रद रहेगा। राहु भी जिस भाव में नीच का होगा उस भाव को क्षति पहुँचाएगा। आइए, प्रत्येक लग्न पर इनका प्रभाव कैसा रहेगा, जानें। मेष लग्न या राशि वालों के लिए शनि षष्ट भाव से आयु के मामलों में या स्वास्थ्य के मामलों में सावधानी रखकर चलना होगा, राहु का गोचरीय भ्रमण भाग्य में नीच का होगा अतः इन राशि वालों के लिए भाग्य व धर्म के क्षेत्र में सावधानी रखना होगी।


गुरु दाम्पत्य जीवन के मामलों मे बाधक बन सकता है। वृषभ राशि या लग्न वालों के लिए शनि अपने जीवन साथी के मामलों में तकलीफ देगा, राहु अष्टम से भ्रमण करेगा जो अकस्मात बीमारी का कारण बनता है।

गुरु रोग, कर्ज बढ़ा सकता है। मिथुन लग्न या राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण चतुर्थ भाव से रोग कर्ज बढ़ाता है वहीं राहु का भ्रमण सप्तम भाव से भ्रमण करेगा। इस कारण अपने जीवन साथी को कष्ट देगा वहीं दैनिक व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के लिए राहु ठीक नहीं रहता।

गुरु का भ्रमण नवम भाग्य से होने के कारण धर्म-कर्म में मन न लगना, भाग्य में रुकावट, संतान को कष्ट रहता है। कर्क लग्न व राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण तृतीय से होने के करण संतान, विद्या में बाधा रहती है। राहु का भ्रमण षष्ट भाव से होने के कारण रोग, कर्जादि की परेशानी का कारण बनता है वहीं मामा, नाना पक्ष में कुछ अशुभ समाचार मिल सकता है।

गुरु का भ्रमण अष्टम भाव से होने के कारण भाग्य में कमी, पारिवारिक बाधा रहती है। सिंह लग्न व राशि वालों के लिए शनि पारिवारिक बाधा व राहु का पंचम से भ्रमण विद्यार्थी वर्ग के लिए परेशानी, संतान को कष्ट, प्रेम संबंधी मामलों में बाधा रहेगी। गुरु का सप्तम से भ्रमण बहनों से अनबन का कारण भी बन सकता है। कन्या लग्न व राशि वालों के लिए शनि पराक्रम में कमी, भाइयों से द्वेष का कारण बनता है, राहु चतुर्थ से भ्रमण करने से पारिवारिक परेशानी, माता को कष्ट, जनता से संबंधित मामलों मे रुकावट का कारण बनता है।

गुरु षष्ट भाव से भ्रमण करने के कारण दांपत्य जीवन में बाधा, धन, कुटुम्ब के मामलों में भी परेशानी देगा। तुला लग्न व राशि वालों के लिए शनि धन व कुटुम्ब के मामलों में बाधा बनता है वहीं राहु का भ्रमण तृतीय भाव से होने के कारण भाइयों से विरोध, पराक्रम में कमी, साझेदारियों से हानि का कारण बनता है।

गुरु पंचम से भ्रमण करने के कारण संतान, विद्यादि के मामलों में व स्वयं के कामों में देरी का कारण बनेगा। वृश्चिक लग्न व राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण स्वयं के लिए ठीक नहीं वहीं राहु का भ्रमण द्वितीय भाव से होने के कारण धन, वाणी, कुटुम्ब वालों के मामलों मे बाधा का कारण बनता है। गुरु का भ्रमण चतुर्थ से होने के कारण पारिवारिक मामलों में ठीक नहीं रहता, यात्रादि में सावधानी रखें।

धनु लग्न व राशि वालों के लिए राहु का लग्न से भ्रमण मानसिक चिन्ता का कारण बनता है, गुरु का भ्रमण पराक्रम में कमी व भाइयों से वाद-विवाद का कारण बनता है। शनि बाहरी मामलों में सावधानी का संकेत देता है। मकर लग्न व राशि वालों के लिए राहु का भ्रमण द्वादश भाव से होने के कारण बाहरी संबंधों में कष्ट व परेशानी रहे, लेनदेन सावधानी से करें, गुरु का भ्रमण द्वितीय भाव से होने के कारण धन की बचत कम होगी, व्यापार में सतर्कता रखें व नौकरी-पेशा सावधानी रखें। शनि आय व शेयर के मामलों मे बाधक बनता है।

कुंभ लग्न व राशि वालों के लिए गुरु का भ्रमण लग्न से होने के कारण जीवन साथी से लाभ व स्वयं के लिए थोड़ा कष्टकारी रहता है। राहु का भ्रमण एकादश भाव से होने के कारण आर्थिक बाधा व शेयर बाजार में नुकसान देता है, शनि व्यापार, नौकरी आदि के क्षेत्र में रुकावट देता है।

मीन लग्न व राशि वालों के लिए राहु का भ्रमण दशम से होने के कारण व्यापार, नौकरी, पिता के क्षेत्र में बाधा का कारण बनता है। गुरु का भ्रमण बाहरी मामलों में सावधानी का संकेत देता है व स्वास्थ्य के मामलों में भी सावधानी रखने का संकेत है। शनि भाग्य में रुकावट का कारण बनता है।

स्वतन्त्र भारत की कुंडली में राहु का भ्रमण अष्टम भाव से होने के कारण किसी अनहोनी का संकेत है जिससे जनहानि संभव है। आम जनता के लिए बीमारी से कष्ट रहने का संकेत है। गुरु का भ्रमण दशम भाव से होने के कारण राजनीति में कहीं बदलाव, आपसी तालमेल की कमी का कारण बनता है। ये तीन ग्रहों का बदलाव भारत के लिए आकस्मिक युद्ध का संकेत भी है।

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शेयर बाजार

शेयर बाजार जब चढता है तो लोग कहते हैं कि यह निवेश का सही समय है लेकिन निवेश करने के साथ ही बाजार गिरने लगता है और लगाया हुआ पैसा डूबता हुआ नजर आता है। ऐसा ही कुछ बाजार गिरने के समय सुनाई देता है कि अब शेयर बाजार पर्याप्‍त गिर चुका है और अब ऊपर जाएगा इसलिए इसमें निवेश करने का सबसे सही वक्‍त है। लेकिन इस बार भी ऐसा ही कुछ होता है। यानि गिरते हुए बाजार में एक बार फिर पूंजी डूबती नजर आती है।
तो कब करना चाहिए निवेश
यह बहुत ही सीधा और स्‍पष्‍ट सवाल है और इसका जवाब इतना ही टेढा और उलझा हुआ। ज्‍योतिष के मायने से देखा जाए तो मैंने इसका एक हल निकाला है। हर व्‍यक्ति की कुण्‍डली में ग्‍यारहवां घर होता है आय का और बारहवां घर होता है व्‍यय का। शेयर बाजार और सट्टे में एक मूल अन्‍तर है वह यह कि सट्टे में पूरी रकम एक साथ लगती है और बाद में एकसाथ आती है लेकिन शेयर बाजार में ऐसा नहीं होता। शेयर में निवेश करने का अर्थ हुआ कि हम अमुक कंपनी में अपना विश्‍वास व्‍यक्‍त कर रहे हैं और समय आने पर लाभ का हिस्‍सा लेंगे। यानि निवेश इस तरह से कि पैसा न तो एकसाथ आता है और न एकसाथ जाता है।
सट्टे में पांचवां भाव प्रमुख रूप से देखा जाता है। इसके अलावा ग्‍यारहवां भाव। वहीं शेयर बाजार में निवेश के लिए मैंने बहुत से लोगों को बारहवां भाव ऑपरेट होने पर निवेश करने की सलाह दी। यानि उन लोगों के हाथ से खर्च कराया वह भी निवेश के रूप में। बाद में जब ग्‍यारहवां भाव ऑपरेट हो रहा था उन दिनों में उन्‍हें पैसे निकाल लेने की सलाह दी गई। कुछ मामलों में लोगों को अच्‍छा लाभ हुआ तो कुछ में आंशिक लाभ की स्थिति रही। लेकिन नुकसान किसी को नहीं हुआ। यह एक सामान्‍य ट्रिक थी। इसके साथ समय भी अच्‍छा चलता हुआ होना चाहिए वरना निवेश किया गया पैसा डूब भी सकता है। समय खराब हो तो ग्‍यारहवां भाव भी परेशानियां लेकर आता है। उसके बारे में फिर कभी

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काल शार्प योग

काल शार्प योग  कितना खतरनाक लगता हैं ये नाम पर मैंने  कई कुंडलियों को देखा कल सर्प योग था फिर भी वो सफल हैं क्या मने इसे क्या काल सर्प योग सब के लिए बुरा हैं लेकिन इसमे मुझे लगा की कल सर्प योग हमेशा अशुभ फल नहीं देता जेमिनी ने तो अपने ग्रंथ में रहू केतु को जगह ही नहीं दी हैं मान सागरी में राहू को सर्प और केतु को काल बताया गया हैं कई किताबो में रहू केतु के पर्भावी वर्ष ४२ साल बताये गए हैं ४२ के बाद इसका असर ख़तम हो जाता हैं सांपो को देव योनी में माना गया  अभी भी नाग जाती के लोग पाए जाते हैं क्या ज्योतिष में काल सर्प योग की चर्चा करनी चाहिए ये पर्सन  मेरे जैसे ज्योतिष के विधार्थी को परेशान  करते हैं और ज्य्तोइश प्रेमी के सामने जिज्ञासा भी उतपन होती हैं विक्रम संवत १६ वी सतबादी मैन मान सागर नाम से विद्वान हूए हैं जिन्होंने मान सागरी की रचना की उन्होंने  अध्य्याय  ४ श्लोक १० मैन लिखा हैं संस्कर्त में नहीं लिखूंगा  उसका सार लिख रहा हूँ  सातवे स्थान में  शनि सूर्य और राहू की युति  हैं  तो शैया पर सोते हूए भी शंप कांट जाता हैं पर निरंतर अनुशंधन  के बाद आचार्यो ने देखा की सर्प के  मुख और पूछ मैन सरे ग्रह  अवस्थित हो  तो जातक का जीवन अधीक कस्टमाय होता हैं शायद इसे ही कल शार्प योग की संघ्या दी होगी  मूल रूप से सर्प योग को ही कल सर्प योग कहा जाता हैं कई शापित कुंडलियों में और काल सर्प योग में बहूत समया  मिलाता हैं  इस बारे मैन चर्चा अगले लेख में करूँगा  काल शार्प योग  को देख कर ये मान लेना की ये दूषित हैं  मुर्खता होगी  यह कभी शुभ तो कभी अशुभ फल देता हैं कल शराप दोष नहीं एक योग हैं  और इससे भयभीत होना न तरक सांगत हैं  न ही उचित 
                                                                                                       ज्योतिष विधार्थी 
                                                                                                          वीनोद रांका 

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parshan kundli

प्रश्‍न कुण्‍डली वास्‍तव में समय विशेष की एक कुण्‍डली है जो उस समय बनाई जाती है जब जातक प्रश्‍न पूछता है। यानि जातक द्वारा पूछे गए प्रश्‍न का ही भविष्‍य देखने का प्रयास किया जाता है। यह सवाल कुछ भी हो सकता है। मेरा मानना है कि किसी सवाल का जवाब देने के लिए प्रश्‍न कुण्‍डली सर्वाधिक उपयुक्‍त तरीका है। प्रश्‍न के सामने आते ही उस समय की कुण्‍डली बना ली जाए। इससे समय के फेर की समस्‍या नहीं रहती। इसके साथ ही जातक की मूल कुण्‍डली भी मिल जाए और वह प्रश्‍न कुण्‍डली को इको करती हो तो सवाल का जवाब ढूंढना आसान हो जाता है। 
दूसरा बिंदु है जातक के सवाल का सही होना। 
जातक का सवाल सही नहीं होने पर प्रश्‍न और कुण्‍डली एक दूसरे के पूरक नहीं बन पाते हैं। ऐसे में प्रश्‍न कुण्‍डली बनाने के साथ ही ज्‍योतिषी को प्रश्‍न के स्‍वभाव का प्रारंभिक अनुमान भी कर लेना चाहिए। इससे प्रश्‍न में बदलाव की संभावना कम होती है। ज्‍योतिष कार्यालय चलाने वाले लोगों को पता है कि एक दिन में एक ही प्रकार की समस्‍याओं वाले लोग अधिक आते हैं। पूर्व में मैंने में ज्‍योतिष कार्यालय खोला था। तब मुझे यह बात शिद्दत से महसूस हुई थी। जिस दिन गोचर में चंद्रमा और शनि की युति थी उस दिन तो पूरे दिन मानसिक समस्‍याओं से घिरे लोग ही आए। हां मानसिक समस्‍याओं का प्रकार लग्‍न और अन्‍य ग्रहों के कारण बदल जाता। किसी को सिजोफ्रीनिया था, तो किसी को क्रोनिक डिप्रेशन, कोई दिमागी सुस्‍ती का शिकार था तो कोई शारीरिक बीमारी के कारण मानसिक रूप से परेशान मिला। इस तरह एक ओर विश्‍लेषण आसान हो जाता है तो दूसरी और पिछली बातें स्‍पष्‍ट करने के बजाय भविष्‍य कथन में अधिक ध्‍यान लगाया जा सकता है। 
छ्द्म सवाल- 
प्रश्‍न कुण्‍डली से जवाब देने में छद्म सवाल सबसे बड़ी बाधा है। आपने जातक के सवाल को सुनकर जो कुण्‍डली बनाई है अगर वह कुण्‍डली सवाल से मैच नहीं कर रही है तो समझ लीजिए कि सवाल छद्म है। इससे दूसरी परेशानी यह पैदा होती है कि न तो आप जातक को पिछली बातें सही बता पाते हैं न भविष्‍य कथन सही कर पाते हैं। 
प्रश्‍न कुण्‍डली के फायदे
जन्‍म समय का फेर नहीं होता 
हाथों हाथ तैयार हो जाती है 
सवाल के जवाब स्‍पष्‍ट मिलते हैं 
हर तरह के सवाल का जवाब  दिया जा सकता है 
जिन लोगों को जन्‍म समय नहीं है उनके लिए यह वरदान है 
कई सवालों के सटीक जवाब मिलते हैं 
हां और ना के अधिक सही जवाब मिल सकते हैं 
सिद्धार्थ जोशी द्वारा संपादित अंश 
इती शुभम

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Shree Yantra


 


सुधि पाठको  और अपने सभी मित्रो के लिए सम्पुरण श्री यन्त्र दे रहा हूँ  आप को अगर आर्थिक  परेशानी हैं और माँ लक्ष्मी की कृपा चाहते हैं तो इस यन्त्र को कलर प्रिंट निकल कर  दीपावली के दिन अपनी पूजा में रखे और इसका प्रभाव स्वत  महसूस करे लकिन याद रखे इस यन्त्र की पूजा रोज होनी आवश्यक हैं पूजा मैन लॉन्ग इलायची  सुपारी और रोली व् कुमकुम का प्रयोग करे और बताशे या मखानों का श्रधा पूर्वक भोग लगाये माँ लक्ष्मी की कर्पा आप पर बनी रहेगी 
इसी विश्वाश के साथ 
आपका 
वीनोद रांका   

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Dipawali


नमस्कार                                                          

               दीवाली की हार्दिक शुभ कामनाओं  के साथ फिर हाजिर हूँ   दीपावली  सुख समर्धी का त्यौहार हैं तो इस दीपावली पर कुछ प्रोयोग करके देखे शायद आप के काम आ जाये  

महा लक्छमी की किरपा प्राप्ति के लिए  दीपावली के दिन से सुबह शाम हलवे  का भोग लगाये और परसाद बांटे धन लाभ होगा 
अगर आप का पैसा कंही अटक गया हैं तो सूर्य को अर्ध्य दे  जिस लोटे से आप अर्घ्य दे रहे हैं उसके जल में  लाल मिर्च के २१ बीज डाल ले  और सूर्य को अर्पण करते हूए रुके धन के आने की प्राथना करे 
जो गोपाल सहस्त्र  नाम का पाठ करता हैं उस पर लक्छमी  की किरपा रहती हैं 
सभी राशियों के लिए एक एक मंत्र दे रहा हूँ  दीपावली से शुरु करे और एक माला का जप  करे  मंतर इंग्लिश में लिख रहा हूँ ताकी उचारण दोष न हो 
मेष राशी :-om laxmi narayanay namh 
वर्ष राशी :- om gopalay utar dhwajay namh 
मिथुन राशी :-om krim keshway namh
कर्क राशी :- om harim hariharay namh
सींह राशी :- om bal mukunday namh
कन्या राशी :- om namo prim pitambaray namh
तुला राशी :- shri ramay namh 
वर्ष्चिक राशी :-om narayan sursinhay namh
धनु राशी :-om hrim krim bhagwate namh 
मकर राशी:- om shri vatslay namh
कुम्भ राशी :-shri gopal govinday namh
मीन राशी :- om hrim damodaray nandnay namh

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सुख समर्धी के कुछ उपाय

मानव जीवन एसा जीवन जन्हा कोई सुखी नहीं हैं सब को कोई न कोई परेशानी रहती हैं , क्यों  क्योंकी मानव का स्वभाव ही 
एसा हैं की जो मिल गया उससे खुश नहीं होता जिन्दगी मैं हमेशा कुछ न कुछ पाना चाहता हैं फिर मिल गया तो फिर दूसरी चीज़ 
चाहिए होती हैं खेर ये मानव का स्वभाव हैं और इसे बदला भी नहीं जा सकता , खेर इस चाकर मैं पड़ते हूए कुछ सुखा समर्धी  के उअपय यंहा दे रहा हूँ कर के देखे और फिरक महसूस करे -
१. सुबह मैन गेट के बाहर सफाई करके एक गिलास पानी छिड़क दे धन की बरकत होगी 
२. अशोक का पेड़ लगाने से और उसे सींचने से  धन वृद्धि होती हैं 
३. अशोक के पेड़ की जड़ का एक टुकडा पूजा घर में रखने और रोजाना उसकी पूजा करने से धन की कमी नहीं रहती
४.सूर्योदय के समय यदी घर के छत पर काले तील बिखेर दे तो घर में सुख बना रहता हैं  
५. पानी की बाल्टी मैन दो चमच नमक दल कर उससे पोंचा लगाये तो घर की नकारात्मक उर्जा मैन कमी आती हैं 
६. घर मैन टुटा फुट कांच फर्नीचर  फटे हूए कपडे नहीं रखे 
७. अगर कर्जा हो  और चूका ना पा रहे हैं तो पूजा घर मैन मंगल यन्त्र रखे और रोज उसकी पूजा करे करजे से मुक्ति मिलेगी  
8. सुबह भोजन करने से पहले गीता के १५ वे अध्याय का पाठ करने से घर में बरकत बनी रहती हैं और सुखो का वास होता हैं 
                                                                                                                           इती  शुभम 
                                                                                                                          वीनोद रांका
                                                                                  

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THOS UPAY

नमस्कार  

          आज इसी बात बताता हूँ की हंसी  आती हैं  कभी कभी तो एसा लगता हैं जैसे मैंने ज्योतिष सिख कर मजाक  बना लिया मैंने खेर इसमें भी पुरनी  घार्नाये  काम कराती हैं  अपने  बुजर्गो ने वैसे तो सही कहा हैं पर एक दिन मैं अपने ऑफिस मैं बता था तो एक वर्धा ओरत आई अपने बेटे के साथ जिसे कोई काम नहीं मिल रहा था और अगले दिन उसका इंत्रेविउव था  
मैंने उसकी कुंडली देखि और उससे कहा की अपनी जेब मैं ४ काली मिर्च रखे और इन्तेर्विएव देने जाये सफल होने के 
बहूत चांस थे  देख के बता दिया तो वो  ओरत बोली पंडित जी ( वैसे पंडित नहीं हूँ ) कोई ठोस उपाय बताऊ   मतलब  जब तक लोगो को ये  को कोई खर्चा न बताऊ पूजा पाठ ना बताऊ तब तक उनको लगता हैं की मैंने टाइम पास कर रहा हूँ 
खेर  उसके बाद मैं उसकी नोकरी भी लग गयी ये सब बाते काम की नहीं हैं पर एसा लगता हैं जब तक लोगो से पैसा या  टाइम
टाइम भी पैसे की अहमियत रखता हैं खास तोर से मेरे लिए  
मैंने गुरु जी से इस बारे मैं बात की तो वो बोले की या तो लोगो के पैसे लगवाओ या फिर उनका टाइम तब लोग तुम पर विश्वाश करेंगे ! खेर मुझे अपना मुकाम मिल चूका हैं जन्हा मुझे न तो लोगो के पैसे की जरुरत हैं न ही टाइम की पर कभी कभी सोचता हूँ 
 की लोग भी तब तक आप पर विश्वाश नहीं करेंगे जब तक आप उनको पूजा पाठ  तंत्र मंत्र के बारे मैं नहीं बताओगे  मेरे पास तो इसे ही सरल और सीधे उपाय हैं ! किसी ग्रह को शांत करना हो तो उससे संबधित चीज या तो दान करो 
 या फीर अपने पास रखो 
                              इसका भी अपना लोगिक हैं जरुरत पड़ने पर आप को बताऊंगा :) धन्य वाद आपने मेरा लेख पढ़ा पर एक बात कहना चाहूँगा इन्सान की हर समस्या का हल छिपा हैं ज्योतिष मैं  बस जरुँरत हैं उसे पहचाने की कोनसा गरह कब काम करेगा 
                                                                                                   इते  शुभम विदा लेता हूँ आपसे  
                                                                                                  आप का     विनोद रांका



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नमस्कार
कई दिनों से सोच रहा था की अब क्या करना हैं १ अब जाके सोचा अपने ब्लॉग को सम्हालू क्यों की समय का आभाव था हां तो आज नवरात्रा का तीसरा दिन हैं एक आदमी मेरे पास समस्या ले कर आया की उसकी बेटी का विवाह नही हो रहा था धयान से जनम पटरी को देखा तो लड़की खुबसूरत संसकारी थी पढ़ी लिखी भी थी फ़िर उसका विवाह क्यों नही हो रहा ? देखा शनी की दुरस्ती सपत्मेश पर पर केवल ये ही कारन नही मन जा सकता था तो आगे क्या करे देखा कई ग्रह इसी युती बना रहे थे की उस लड़की मैं अभिमान की भावना जागृत हो गई थी इसमे भी उसका दोष नही क्योंकी प्रारब्ध को उअपर वाला तय करके भेजता हैं खेर आगे देखा तो लगा की शायद इसे शिव गोरी विवाह का उपाय बता दू पर उससे भी टाइम ज्यादा लगता था विवाह मैं अंत मैं मैंने सोचा की इस लड़की के वो ग्रह जो इसे दम्भी बना रहे हैं उनका उअपाय किया जाए तो जल्दी फिरक पड़ सकता हैं तो मैंने उसे माँ जगदम्बे की पूजा कराने को कहा और उससे कहा की वो सुबह भोजन मैं कर्री खाए तो उसका विवाह जल्दी हो सकता हैं यंहा एक बात और कहना चाहूँगा की विवाह का करक ग्रह बुध भी हैं काफी कुंडलिया देखने के बाद लगा की बुध विवाह योग बनता हैं और ज्यादातर बुध की दशा अन्तर दशा या सुशामंतर दशा मैं हूए हैं अब देखना हैं की मेरे द्वारा की गई भविष्य वाणी और उपाय सफल होते हैं की नही वैसे मैं इस मामले को ऊपर वाले को सोमप चुका हूँ और वो मेरी अवश्य सुनेगा ये मेरा विश्वाश ही नही बलकी अति अतम विश्वाश हैं

इत्ती शुभम

फ़िर मिलूँगा कोई प्रॉब्लम हो तो इस ब्लॉग पर लिख दे या फ़िर मुझे मेरी मेल ईड पर मसेग कर दे मैं समय निकल कर अवश्य संपर्क करूँगा

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